वृद्धों की सेवा हमारा धर्म है ।

क्या गुजरी होगी उस बुढ़ी माँ के दिल पर जब उसकी बहु ने कहा -:
“माँ जी, आप अपना खाना बना लेना, मुझे और इन्हें आज एक पार्टी में जाना है …!!”


बुढ़ी माँ ने कहा -: “बेटी मुझे गैस चुल्हा चलाना नहीं आता …!!”

तो बेटे ने कहा -: “माँ, पास वाले मंदिर में आज भंडारा है , तुम वहाँ चली जाओ ना खाना बनाने की कोई नौबत ही नहीं आयेगी….!!!”

माँ चुपचाप अपनी चप्पल पहन कर मंदिर की ओर हो चली…..

यह पुरा वाक्या 10 साल का बेटा रोहन सुन रहा था |

पार्टी में जाते वक्त रास्ते में रोहन ने अपने पापा से कहा -:

“पापा, मैं जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा ना तब मैं भी अपना घर किसी मंदिर के पास
ही बनाऊंगा ….!!!

माँ ने उत्सुकतावश पुछा -: क्यों बेटा ?

रोहन ने जो जवाब दिया उसे सुनकर उस बेटे और बहु का सिर शर्म से नीचे झुक गया जो अपनी माँ को मंदिर में छोड़ आए थे…..

रोहन ने कहा -: क्योंकि माँ, जब मुझे भी किसी दिन ऐसी ही किसी पार्टी में जाना होगा, तब तुम भी तो किसी मंदिर में भंडारे में खाना खाने जाओगी ना और मैं नहीं चाहता कि तुम्हें कहीं दूर के मंदिर में जाना पड़े….!
.
वृद्धों की सेवा हमारा धर्म है ।
मातृ देवो भव्
पितृ देवो भव्।

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