भगवान् जल्दी कैसे मिलें ?

एक साधु थे । उनके पास एक आदमी आया और उसने पूछा कि भगवान् जल्दी कैसे मिलें ? साधु ने कहा कि भगवान् उत्कट चाहना होने से मिलेंगे । उसने पूछा कि उत्कट चाहना कैसी होती है ? साधु ने कहा कि भगवान् के बिना रहा न जाये।

वह आदमी ठीक समझा नहीं और बार-बार पूछता रहा कि उत्कट चाहना कैसी होती है ? एक दिन साधु ने उस आदमी से कहा कि आज तुम मेरे साथ नदी में स्नान करने चलो । दोनों नदी में गये और स्नान करने लगे । उस आदमी ने जैसे ही नदी में डुबकी लगायी, साधु ने उसका गला पकड़कर नीचे दबा दिया ।

वह आदमी थोड़ी देर नदी के भीतर छटपटाया, फिर साधु ने उसको छोड़ दिया । पानी से ऊपर आने पर वह बोला कि तुम साधु होकर ऐसा काम करते हो ! मैं तो आज मर जाता ! साधु ने पूछा कि बता, तेरे को क्या याद आया ?


माँ याद आयी, बाप याद आया या स्त्री-पुत्र याद आये ? वह बोला कि महाराज, मेरे तो प्राण निकले जा रहे थे, याद किसकी आती ? साधु बोले कि तुम पूछते थे कि उत्कट अभिलाषा कैसी होती है, उसी का नमूना मैंने तेरे को बताया है । जब एक भगवान् के सिवाय कोई भी याद नहीं आयेगा और उनकी प्राप्ति के बिना रह नहीं सकोगे, तब भगवान् मिल जायेंगे। भगवान् की ताकत नहीं है कि मिले बिना रह जायें।

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