बुराई का परिणाम
एक बार तैलंगस्वामी को तंग करने के इरादे से एक व्यक्ति ने दूध के बदले चूना घोलकर एक पात्र में रख दिया। स्वामीजी ने घोल को चुपचाप पी लिया।
वह व्यक्ति यह देख हैरान हो गया की उन पर तो कोई असर ही नहीं हुआ, बल्कि उसका ही जी घबराने लगा और वह दर्द से तड़पने लगा। वह उनके चरणों में गिरकर माफ़ी मांगने लगा।
स्वामीजी ने पास ही रखी स्लेट पर लिखा -- चूने का पानी मैंने पिया और इसका परिणाम तुझे भोगना पड़ा। इसका एक ही कारण है वह यह कि हम दोनों के शरीर में आत्मा का वास है। यदि दूसरे की आत्मा को कष्ट दिया जाए तो वह कष्ट स्वयं को भी भोगना पड़ता है। इसलिए दूसरों को कष्ट देने की कोशिश
भी नहीं करनी चाहिए।
स्वामीजी ने उस व्यक्ति के सिर पर हाथ रखा और उसका दर्द चला गया। उस व्यक्ति ने स्वामीजी से माफ़ी मांगी और कहा कि अब वह किसी को भी तंग नहीं करेगा।
वह व्यक्ति यह देख हैरान हो गया की उन पर तो कोई असर ही नहीं हुआ, बल्कि उसका ही जी घबराने लगा और वह दर्द से तड़पने लगा। वह उनके चरणों में गिरकर माफ़ी मांगने लगा।
स्वामीजी ने पास ही रखी स्लेट पर लिखा -- चूने का पानी मैंने पिया और इसका परिणाम तुझे भोगना पड़ा। इसका एक ही कारण है वह यह कि हम दोनों के शरीर में आत्मा का वास है। यदि दूसरे की आत्मा को कष्ट दिया जाए तो वह कष्ट स्वयं को भी भोगना पड़ता है। इसलिए दूसरों को कष्ट देने की कोशिश
भी नहीं करनी चाहिए।
स्वामीजी ने उस व्यक्ति के सिर पर हाथ रखा और उसका दर्द चला गया। उस व्यक्ति ने स्वामीजी से माफ़ी मांगी और कहा कि अब वह किसी को भी तंग नहीं करेगा।
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