मन की निर्मलता
एक बाल ग्वाल रोजाना अपनी गायों को जंगल में नदी किनारे चराने के लिए ले जाता था । जंगल में वह नित्य- प्रतिदिन एक संत के यौगिक क्रियाकलाप देखता था । संत आंखें और नाक बंद कर कुछ यौगिक क्रियाएं करते थे । एक दिन उससे रहा नहीं गया, उत्सुकतावश उसने संत से यौगिक क्रियाओं के बारे में पूछ लिया । बाल ग्वाल के सवाल पर संत ने जवाब दिया कि वह इस तरह से भगवान से साक्षात्कार करते हैं । संत के प्रस्थान करने | के बाद ग्वाला भी यौगिक क्रियाओं को दोहराने लगा और इस बात का संकल्प ले लिया कि आज वह भगवान के दर्शन साक्षात करके ही रहेगा । ग्वाले ने अपनी दोनों आंखें बंद कर लीं और नाक को जोर से दबा लिया । श्वास प्रवाह बंद होने से उसके प्राण निकलने की नौबत आ गई । उधर कैलाश पर्वत पर महादेव का आसन | डोलने लगा । शिव ने देखा कि एक बाल ग्वाल उनसे साक्षात्कार करने के लिए कठोर तप कर रहा है । उसके हठ को देखकर शिव प्रगट हुए और बोले, वत्स, मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हूं और तुमको दर्शन देने आया हूं । ' ग्वाले ने बंद आंखों से इशारा कर पूछा, 'आप कौन हो ...

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